पैग़ाम
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खुबसूरत है ये ज़िदगी,
तू उसमे रम जा |
ये जीवन एक बगिया;
ऊपर वाला माली,
तू खिलती कली बन जा |
तेज हो आंधी,
तू जलता दिया बन जा |
कठिनाइयों से तपती हो धरती,
बरसती घटा बन जा |
सपनों पर आघात करे कोई,
तू महाकाली बन जा |
साथी न मिले जबतक
मन का कोई,
खुद अपना सनम बन जा |
खुबसूरत है ये ................|