' तलाश '
निगाहों की निरंतर है तलाश
ढूंढ रही हूँ तुम्हे आस पास
तुम कहाँ हो ?
हर पल, हर क्षण बस तूम्हारी याद
चौंक पड़ी हर आहट के बाद
तुम कहाँ हो ?
न कहीं चैन, न है आराम
अच्छा नहीं लगता कोई काम
तुम कहाँ हो ?
बेचैनी का बढ़ रहा आलम
झिलमिल आंसू आँखों में कायम
तुम कहाँ हो ?
पर, हाय थी मैं कितनी नादाँ
दिल के अन्दर झांका तो पाया
अरे, तुम तो यहाँ हो!