शानू (अंकिता ) के आग्रह पर .......
पीड़ा
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खुश होऊं या सर फोडूं,
जाऊं तो मैं कहाँ जाऊं?
वैसे तो बीवी से मुझे
बड़ा प्यार है,
पर क्या बताऊँ !
आज कल वह
कविता के घोड़े पर
सवार है |
सरपट भागती चली
जा रही है,
रुकने का नहीं
नाम ले रही है |
खोजूं पजामा
मिलता रुमाल है
सच कहूँ ?
बड़ा बुरा हाल है
वैसे तो उसकी विद्वता पर
मुझे बड़ा गुमान है
पर यह क्या?
अब तो मुझे ही
नहीं रही पहचान है!
कल कहा था ,
"चाय बनाओ"
कहने लगी ,
"पहले दूध तो लाओ !"
सच मानिए,
पैकेट से बर्तन में
दूध उलट रहा हूँ |
उनके कवयित्री बनने का
फल भुगत रहा हूँ |
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